आर्कमिडीज और सोने का हार
Archimedes Story of Golden Crown
Archimedes Story of Golden Crown. दोस्तों ये घटना आज से लगभग 2100 वर्ष पूर्व की हैं यूनान की हैं।एक बार राजा हीएरोन अपने दरबार में बैठा हुआ था। तभी उसके दिमाग में अपने लिए एक नया मुकुट बनवाने का विचार आया।उसने राज्य के सबसे अच्छे स्वर्णकार को बुलाने के लिए अपने सेवक भेजे।स्वर्णकार के आने पर राजा ने उसे शुद्ध स्वर्ण देकर उसे अपने लिए सुन्दर सा मुकुट बनाकर लाने के लिए कहा।
लगभग एक माह बाद स्वर्णकार बने हुए मुकुट को लेकर दरबार में आया और राजा हीएरोन को दे दिया। मुकुट वास्तव में बहुत ही सुन्दर था लेकिन राजा को उसकी चमक कुछ फीकी लगी उस संदेह हुआ की शायद मुकुट बनाने में कुछ मिलावट की गई हैं। लेकिन उस समय ऐसी कोई भी तकनीक नही थी जो यह पता लगा सके कि मुकुट में मिलावट हैं।
राजा ने अपने दरबारियों से इस बारे में सलाह कि तो उन्होंने राजा को बताया की यदि इस बारे में कोई है जो पता लगा सकता है,तो वह केवल आर्कमिडीज हैं। जो उस समय का सबसे महान गणतिज्ञ था। राजा ने उसे बुलाकर मुकुट उसे सोपतें हुए उसकी शुद्धता पता लगाने का अनुरोध किया।
अब आर्कमिडीज इस गुत्थी को सुलझाने में लग गया। वह दिन-रात इसी चिंतन में रहता ।वह किस प्रकार मुकुट की शुद्धता को जाँच पाए।एक दिन वह नहाने के लिए पानी से भरे तब में बैठा तो उसमे से कुछ पानी बाहर निकला।अचानक ही उसके दिमाग में कोई विचार आया और वह पानी से बाहर निकला यूरेका यूरेका कहते कहते हुए नंगा ही शहर की सड़कों पर दौड़ता -दौड़ता दरबार तक पहुँच गया।दरबार में पहुँचने पर उसने राजा को बताया कि मुकुट की शुद्धता नापने का तरीका मिल गया हैं।
आर्कमिडीज जानता था की प्रत्येक शुद्ध धातु का अपना नियत घनत्व होता है।यदि उसमे मिलावट की जाये तो उसका घनत्व बदल जायेगा।इसी प्रकार जब उसने मुकुट के बराबर सामान वजन का शुद्ध सोना पानी में डुबोया तो उसके द्वारा हटाया गया पानी, मुकुट को डुबोये जाने से हटाये गये पानी से अलग था। इसी से उसने मुकुट में सोने की शुद्धता का पता लगा लिया।
आर्किमिडिज का सिंद्धांत
आर्कमिडीज के अनुसार, जब कोई वस्तु किसी द्रव में आंशिक या पूर्ण रूप से डुबोई जाती है तो उसके भार में कमी आ जाती है और भार में यह कमी वस्तु द्वारा हटाये गये द्रव के भार के बराबर होती है।
यदि किसी वस्तु का भार वायु में w1 है तथा द्रव में डुबोने पर w2 हो तो, द्रव में डुबोने पर वस्तु के भार में कमी = w1 – w2
अतः आर्कमिडीज के सिद्धान्त से :-w1 – w2 = ɠvg
ɠ = द्रव का घनत्व
v = द्रव का आयतन
g = गुरूत्वीय त्वरण
दोस्तों आर्कमिडीज की इस खोज ने साइंस को एक नई दिशा प्रदान की और इसी सिद्धांत के आधार पर आगे चलकर नई -नई खोजे हुई जिन्होंने मानव जीवन को बहुत सरल कर दिया।
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